कंधार मामले में पुरानी राजग सरकार की विफलता के बाद मोदी सरकार सभी की निगाहें थी। नर्सों की रिहाई को मोदी सरकार के लिए चुनौती माना जा रहा था। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की सक्रियता और भारतीय राजनयिकों की कुशलता से सरकार ने इस चुनौती से आसानी से पार पा लिया।
इराक में गृहयुद्घ छिड़ने के बाद से ये नर्सें तिकरित में फंसी हुई थी, लेकिन गुरुवार को आतंकी संगठन आईएसआईएस इन्हें जबर्दस्ती किसी दूसरे ठिकाने पर ले गया था।
दो भारतीय व्यापारियों की रही महत्वपूर्ण भूमिका
विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, रिहाई बातचीत के जरिए हुई है, किसी भी श्रोत से फिरौती नहीं दी गई है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज नर्सों की रिहाई के लिए खाड़ी देशों विशेषकर सऊदी अरब और इराक के राजनयिकों से स्वयं संपर्क किया था।
अनौपचारिक चैनलों के जरिए सरकार ने आईएसआईएस और दूसरे विद्रोही संगठनों से भी संपर्क किया था।
आईएसआईएस ने नर्सों से किया बेहतर बर्ताव
वहीं, खबर ये भी है कि अपहरण के बाद भी आईएसआईएस के आंतंकियों ने नर्सों के साथ बेहतर बर्ताव किया। केरल के मुख्यमंत्री ओमेन चांडी ने बताया कि आईएसआईएस के आतंकी नर्सों को तिकरित से हटाकर 250 किमी दूर मोसुल ले गए थे, वहां उन्हें भोजन और पानी दिया गया।
उन्होंने बताया कि नर्सों को अपने घर से संपर्क नहीं करने दिया गया लेकिन किसी के साथ बुरे बर्ताव की खबर नहीं है।
सुषमा स्वराज ने की थी खाड़ी देशों से बातचीत
उन्होंने कहा कि सरकार नर्सों की वापसी के लिए अधिक प्रयासरत थी क्योंकि युद्घ के हालात में उन्हें खतरा अधिक था।
नर्सों की रिहाई के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने खाड़ी देशों के नेताओं से फोन पर बात की थी। 1999-2000 में पाकिस्तानी और तालिबानी आतंकियों द्वारा भारतीय विमान के अपहरण और बदले में तीन आतंकियों को छोड़ने के कारण ये मामला सरकार के लिए चुनौती बन गया था।