कैसे छूटी इराक में फंसी नर्सें,

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इराक में फंसी 46 भारतीय नर्सें भारत पहुंच चुकी हैं। उन्हें विशेष विमान से शनिवार को मुंबई लाया गया। भारतीय नर्सों की वापसी को राजनयिक मोर्चे नरेंद्र मोदी सरकार की पहली सफलता के रूप में देखा जा रहा है।

कंधार मामले में पुरानी राजग सरकार की विफलता के बाद मोदी सरकार सभी की निगाहें थी। नर्सों की रिहाई को मोदी सरकार के लिए चुनौती माना जा रहा था। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की सक्रियता और भारतीय राजन‌यिकों की कुशलता से सरकार ने इस चुनौती से आसानी से पार पा लिया।

इराक में गृहयुद्घ छिड़ने के बाद से ये नर्सें तिकरित में फंसी हुई थी, लेकिन गुरुवार को आतंकी संगठन आईएसआईएस इन्हें जबर्दस्ती किसी दूसरे ठिकाने पर ले गया था।

दो भारतीय व्यापा‌रियों की रही महत्वपूर्ण भूमिका

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भारतीय नर्सों को सकुशल वापस लाने में सऊदी अरब, इराक सहित खाड़ी देशों में संपर्को और दो भारतीय व्यापा‌रियों की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जा रही है। हालांकि सरकार ने नर्सों की रिहाई मामले में विभिन्न पक्षों से हुई बातचीत पर का खुलासा नहीं किया है।

विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक‌, रिहाई बातचीत के जरिए हुई है, किसी भी श्रोत से फिरौती नहीं दी गई है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज नर्सों की रिहाई के लिए खाड़ी देशों विशेषकर सऊदी अरब और इराक के राजनयिकों से स्वयं संपर्क किया था।

अनौपच‌ारिक चैनलों के जरिए सरकार ने आईएसआईएस और दूसरे विद्रोही संगठनों से भी संपर्क किया था।

आईएसआईएस ने नर्सों से किया बेहतर बर्ताव

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बातचीत में दो मलयाली व्यापारियों ने भी अहम भूमिका निभाई। केरल सरकार द्वारा मदद मांगे जाने के बाद ये व्यापारी खाड़ी देशों के नेताओं के संपर्क में थे।

वहीं, खबर ये भी है कि अपहरण के बाद भी आईएसआईएस के आंतंकियों ने नर्सों के साथ बेहतर बर्ताव किया। केरल के मुख्यमंत्री ओमेन चांडी ने बताया कि आईएसआईएस के आतंकी नर्सों को तिकरित से हटाकर 250 किमी दूर मोसुल ले गए थे, वहां उन्हें भोजन और पानी दिया गया।

उन्होंने बताया‌ कि नर्सों को अपने घर से संपर्क नहीं करने‌ दिया गया लेकिन किसी के साथ बुरे बर्ताव की खबर नहीं है।

सुषमा स्वराज ने की थी खाड़ी देशों से बातचीत

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गुरुवार को‌ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि नर्सो की रिहाई हमारे लिए लड़ाई जीतने जैसा है। हालांकि युद्घ अभी खत्म नहीं हुआ है। हमें उन 39 भारतीयों को भी वापस लाना है जो आईएसआईएस के कब्जे में हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार नर्सों की वापसी के लिए अधिक प्रयासरत थी क्योंकि युद्घ के हालात में उन्हें खतरा अधिक था।

नर्सों की रिहाई के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने खाड़ी देशों के नेताओं से फोन पर बात की थी। 1999-2000 में पाकिस्तानी और तालिबानी आतंकियों द्वारा भारतीय विमान के अपहरण और बदले में तीन आतंकियों को छोड़ने के कारण ये मामला सरकार के लिए चुनौती बन गया था।

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